कार्डियक अरेस्ट दिल की दूसरी बीमारियों से अलग होता, कुछ मिनटों में ले लेता है जान
मुंबई
एक बार फिर कार्डियक अरेस्ट को लेकर चर्चा तेज हो गई है. कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब हमारा हृदय अचानक से काम करना बंद देता है और शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन युक्त खून नहीं पहुंच पाता.
कार्डियक अरेस्ट को हृदय की बीमारियों में सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है क्योंकि यह अचानक होता है और अगर तुरंत इलाज न मिला तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है.
कार्डियक अरेस्ट है बेहद खतरनाक
कार्डियक अरेस्ट हृदय की लंबी बीमारी से संबंधित नहीं है बल्कि यह अचानक होता है जिससे हृदय ब्लड को पंप करना बंद कर देता है. इसके बाद हृदय के अंदर वेंट्रीकुलर फ्राइब्रिलेशन पैदा होता है जो दिल की धड़कन को रोक देता है. जब यह होता है तब कुछ ही मिनटों के अंदर व्यक्ति की मौत हो सकती है.
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
कार्डियक अरेस्ट दिल की दूसरी बीमारियों से अलग होता है और यह अचानक होता है इसलिए इसके कुछ लक्षण नजर नहीं आते. लेकिन जिन लोगों को पहले से ही हृदय से जुड़ी कोई बीमारी है, उन्हें कार्डियक अरेस्ट का खतरा ज्यादा होता है.
कार्डियक अरेस्ट से पहले सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, चक्कर आना, थकान या ब्लैकआउट जैसे लक्षण नजर आते हैं.
कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में क्या करें?
अगर किसी इंसान को कार्डियक अरेस्ट आया है तो तुरंत उसे किसी एक्सपर्ट द्वारा कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (CPR) दिया जाना चाहिए. इससे दिल की धड़कन को पूरी तरह रुकने से होने से रोका जा सकता है और उसे वापस रेगुलर करने में मदद मिलती है.
कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में मरीज को बिजली का झटका देकर भी उसके हृदय की धड़कन को रेगुलर किया जाता है.
कैसे करें बचाव?
अधिकतर बीमारियों का एक बड़ा कारण हमारी खराब लाइफस्टाइल और खाने-पीने की गलत आदतें हैं. इसलिए अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं, समय पर खाना खाएं, क्या खा रहे हैं, इसका ध्यान रखें. भूख से थोड़ा कम खाएं और प्रोसेस्ड, पैक्ड फूड्स के दूरी बनाकर रखें.
जंक फूड कम से कम खाएं और फल-सब्जियों पर फोकस रखें. नियमित रूप से एक्सरसाइज करें. 30 की उम्र के बाद वार्षिक स्तर पर स्वास्थ्य जांच कराएं.
कार्डियक अरेस्ट में क्या करें?
जब किसी को कार्डियक अरेस्ट हो तो सबसे महत्वपूर्ण है की आप आपातकालीन सुविधा को तुरंत फ़ोन करें और कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) शुरू करें। कार्डियक अरेस्ट एक चिकित्सा आपातक़ालीन स्थिति है जिसका जल्दी इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है। सीपीआर या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन में रेस्क्यू ब्रीदिंग देने के साथ-साथ छाती को दबाया जाता है। सीपीआर फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाता है और ऑक्सीजन युक्त रक्त को तब तक प्रसारित करता है जब तक कि साँस सामान्य न हो और दिल की धड़कन ठीक नहीं हो जाती। सीपीआर करने का तरीका आने से आप दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकते है। एक चिकित्सा आपातकालीन टीम कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) और डीफिब्रिलेशन के उपयोग इलाज में कर सकती है। डिफिब्रिलेटर द्वारा छाती की दीवार के माध्यम से बिजली के झटके का उपयोग करके वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन का इलाज किया जाता है।
कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में क्या अंतर है?
भले ही इनको समानार्थक रूप से उपयोग किया जाता है, लेकिन कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक दो अलग-अलग हृदय विकार हैं। धमनियों में रुकावट होने से हृदय में पर्याप्त रक्त नहीं पहुँच पाता जिससे व्यक्ति में दिल का दौरा (heart attack) आता है। ऑक्सीजन और रक्त की कमी के कारण हृदय की मांसपेशियाँ खराब हो सकती हैं। दिल का दौरा, दिल में विद्युत संकेतों को बदल सकते हैं, जिससे व्यक्ति में कार्डियक अरेस्ट का जोखिम बढ़ सकता हैं। जब कोई अन्य हृदय रोग मौजूद ना हो तो यह मुमकिन है कि दिल का दौरा पड़ने से व्यक्ति में कार्डियक अरेस्ट हो।
कार्डियक अरेस्ट की पहचान कैसे करें?
कई बार कार्डियक अरेस्ट बिना किसी लक्षण के भी व्यक्ति में हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति में निम्न में से कुछ लक्षण मौजूद हो तो मतलब कार्डियक अरेस्ट हो सकता है:
- अगर व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है
- अगर कोई अचानक गिर जाता है
- अगर सांस नहीं ले कोईपा रहा है, सांस लेने में दिक़्क़त हो रही हो, या हवा के लिए हांफ रहा है।
- व्यक्ति को हिलाने या बुलाने पर भी आपको कोई प्रतिक्रिया नहीं देता
- अगर आपको कोई पल्स नहीं महसूस हो रही है
- थकान महसूस होना
- चक्कर आना
- सांस लेने में कठिनाई होना
- जी मिचलाना
- छाती में दर्द
- स्पंदन या पलपिटेशन (तेज़ दिल की धड़कन)
- होश खो देना
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